किसी भी सर्किट में तीन इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट बहुत महत्वपूर्ण होते है – रेसिस्टर , कैपेसिटर और इंडक्टर। तो आज इस आर्टिकल में रेसिस्टर क्या होता है, के बारे में बताने वाले है ।
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रेसिस्टर (Resistor) :
जब किसी चालक (conductor) में धारा (current) प्रवाहित की जाती है तो किसी पदार्थ द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह में दिया गया विरोध रेसिस्टर (Resistor) कहलाता है। रेसिस्टर एक इलैक्ट्रिक कॉम्पोनेंट होता है, जिसकी वैल्यू पहले से ही निधारित होती है।
रेजिस्टेंस (Resistance)
रेजिस्टेंस कंडक्टर की प्रॉपर्टी होती है, जो बताती है कि जब कंडक्टर के अक्रॉस पोटेंशियल डिफ़्रेंस लगाते है तो उसमे से कितनी करेंट प्रवाहित होगी ।
ओम के नियम से जानते हैं V = IR
V = वोल्टेज I = करंट R =रेजिस्टेंस
अर्थात किसी चालक में आरोपित विभवांतर और उसमे प्रवाहित धारा के अनुपात को चालक का रेसिस्टेंस कहते हैं। रेसिस्टेंस की इकाई ओम होती है और इसका प्रतीक Ω होता है।
रेजिस्टेंस को प्रभावित करने वाले कारक
- लंबाई पर: किसी चालक का रेजिस्टेंस उसकी लंबाई के समानुपाती होता है अर्थात तार की लंबाई ज्यादा होगी तो रेजिस्टेंस भी ज्यादा होगा तथा तार की लंबाई कम होगी तो रेजिस्टेंस भी कम होगा।
- R ∝ l
- क्षेत्रफल पर : किसी चालक का रेजिस्टेंस उसके क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात अगर तार पतला होगा तो उसका रेजिस्टेंस अधिक होगा और अगर तार मोटा होगा तो उसका रेजिस्टेंस कम होगा .
- R ∝ 1/A
- पदार्थ की प्रकृति पर : चालक रेजिस्टेंस उसमें उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात यदि किसी चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या अधिक है तो रेजिस्टेंस कम होगा तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या कम है तो रेजिस्टेंस ज्यादा होगा .
- ताप पर : ताप का प्रभाव चालक ,अर्धचालक व मिश्र धातु पर अलग-अलग पड़ता है।
- चालक = चालको का रेजिस्टेंस ताप बढ़ाने के साथ बढ़ता है इसलिए चालको का पॉजिटिव टेंपरेचर कोएफिसिएंट होता है।उदहारण = कॉपर,एलुमिनियम
- कुचालक = कुचालको का रेजिस्टेंस ताप बढ़ाने के साथ घटता है इसलिए कुचालको का नेगेटिव टेंपरेचर कॉएफिशिएंट होता है।उदहारण = ग्लास,रब्बर
- अर्धचालक = अर्धचालक का भी रेजिस्टेंस ताप बढ़ाने के साथ घटता है,इसलिए इनका भी नेगेटिव टेंपरेचर कॉएफिशिएंट होता है।उदहारण = जर्मेनियम,सिलिकॉन
- मिश्र धातु = मिश्र धातु का रेजिस्टेंस ताप बढ़ाने के साथ बढ़ता है परंतु रेजिस्टेंस बहुत कम व इररेगुलर बढ़ता है।उदहारण = मेंगनीन,कॉन्स्टैंटन
कलर कोड का प्रयोग करते हुए रेजिस्टेंस की गणना
रेजिस्टेंस की गणना मल्टीमीटर तथा रेसिस्टर पर कलर कोड के द्वारा की जाती है।इसमें हम रेसिस्टर पर कलर कोड के द्वारा गणना करना सीखेंगे रेसिस्टर पर कुछ कलर दिए होते हैं उन कलर को देखकर हम रेजिस्टेंस की गणना कर सकते हैं कलर के द्वारा गणना करने के लिए हमें निम्न टेबल याद होनी चाहिए
कलर कोड टेबल
Colour | Digit | Multiplier | Tolerance |
---|---|---|---|
Black(काला) | 0 | 100 | |
Brown(भूरा) | 1 | 101 | 1% |
Red(लाल) | 2 | 102 | 2% |
Orange(नारंगी) | 3 | 103 | |
Yellow(पीला) | 4 | 104 | |
Green(हरा) | 5 | 105 | 0.5% |
Blue(नीला ) | 6 | 106 | 0.25% |
Violet(बैंगनी) | 7 | 107 | 0.1% |
Gray(धूसर) | 8 | 108 | 0.05% |
White(सफ़ेद) | 9 | 109 | |
Gold(सुनहरा) | 10-1 | 5% | |
Silver(चांदी) | 10-2 | 10% | |
No Colour(कोई रंग नहीं ) | 20% | ||
अब हम प्रतिरोध कैसे निकालना है उसको एक उदाहरण से समझते हैं जैसे अगर प्रतिरोध में 4 कलर ब्राउन ,ब्लैक,ग्रीन और गोल्ड दिया हुआ है।
अब सबसे पहले मन में यह आता है कि कलर लेफ्ट हैंड से स्टार्ट करें या राइट हैंड से तो मैं आपको बता दूं कि कलर हमेशा वहां से लेना है जो रिंग के सबसे नजदीक हो
जैसे इस उदाहरण में ब्राउन कलर रिंग के नजदीक है तो कलर ब्राउन से स्टार्ट करेंगे उसके बाद जो फर्स्ट टू कलर हैं वह डिजिट को शो करते हैं और जो सेकंड लास्ट कलर है वह हमेशा मल्टीप्लायर को प्रदर्शित करता है और जो लास्ट कलर होता है वह टोलरेंस को प्रदर्शित करता है
इस उदाहरण में ब्राउन एंड ब्लैक कलर डिजिट को शो करेंगे तथा ग्रीन कलर मल्टीप्लायर को तथा गोल्ड कलर टोलरेंस को प्रदर्शित करता है अब हम टेबल को देखते हुए इस कलर कोड का रजिस्टेंस निकालते हैं।BROWN = 1 BLACK = 0 का डिजिट लिया हे टेबल को देखकर .
GREEN =105 मल्टीप्लायर लिया हे
और GOLD= 5 % टोलरेंस लिया हे।
तो इसका कलर कोड=10 *105+5 %
टॉरेंस यह बताता है कि प्रतिरोध की वैल्यू कितनी कम या ज्यादा हो सकती है इस उदाहरण में प्रतिरोध 10 * 105 का 5 परसेंट कम या ज्यादा हो सकता है।
मुझे आशा है इस आर्टिकल में आपको समझ आ गया होगा कि रेसिस्टर क्या होता है .