आज हम इस आर्टिकल में जयपुर का इतिहास और उसके दर्शनीय स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं जो की ऐतिहासिक किलों, महलों, मंदिरों और कई रमणीय स्थलों के लिए मशहूर है।वह राजस्थान की राजधानी है जिसे पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है।इसको देखने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।
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जयपुर का इतिहास, उसकी स्थापना कब हुई और उसे पिंक सिटी के नाम से क्यों जाना जाता है ?
इसकी स्थापना 18 नवम्बर 1727 को कुशवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा की गई थी।11152 वर्ग किलोमीटर में फैले जयपुर शहर को वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से बनाया गया था ।
जब प्रिंस अल्बर्ट जयपुर आए थे तब रामसिंह जी द्वारा जयपुर का गुलाबी रंग करवाया गया था इसलिए इसे गुलाबी नगरी या पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है।
जयपुर की जनसंख्या, लिंगानुपात और साक्षरता दर 2011 के अनुसार क्या है ?
2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर की कुल जनसंख्या 6626178 है।जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 3468507 तथा महिलाओं की जनसंख्या 3157671 है।
जयपुर का जन घनत्व (एक वर्ग किलोमीटर में प्रति व्यक्तियों की संख्या) 595 हैं तथा लिंगानुपात (1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) 910 है तथा यहां की साक्षरता दर 75.5 % है।
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जयपुर के प्रमुख किले
आमेर का किला :
आमेर का किला अरावली पर्वतमाला के एक पर्वत पर बना है जो जयपुर नगर से करीब 10 किलोमीटर दूर 4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।आंबेर या आमेर के किले को यह नाम इस किले के पास स्थित अम्बिकेश्वर मंदिर के कारण दिया गया।
लाल बलुआ पत्थर एवं संगमर्मर से निर्मित इस किले को मीणाओ द्वारा बसाया गया था, जिस पर बाद में में कछवाहा राजपूत मानसिंह ने राज किया व इस दुर्ग का निर्माण करवाया।
इस महल के बाहर मुख्य द्वार पर शीला माता का मंदिर व दीवान-ए-आम है।इस महल में हिंदू और मुस्लिम शैली का संबंध देखने को मिलता है।
नाहरगढ़ का किला :
इस किले को पहले सुदर्शन गढ़ किले के नाम से भी जाना जाता था इस किले का निर्माण 1734 ईसवी में सवाई जयसिंह द्वितीय ने आमेर किले की सुरक्षा के लिये करवाया गया था बाद में 1868 ईसवी में सवाई राम सिंह द्वारा इस किले का जीर्णोद्धार कराया गया।
यह किला भी जयपुर का बहुत शानदार और आकर्षक किला है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हे क्योकि यहाँ पर आमिर खान की फिल्म रंग दे बसंती और सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म शुद्ध देसी रोमांस जैसी फिल्मों की शूटिंग भी हुई है।
इस किले लिए के लिए कुछ कहानियां भी है यहां राजा नाहर सिंह भोमिया की आत्मा रहती है फिर बाद में सवाई राजा मानसिंह ने उनकी आत्मा के लिए एक महल बनवाया।
हवामहल :
हवा महल को पैलेस ऑफ विंड भी कहते हैं जैसा की नाम से ही पता चल रहा है हवा महल मतलब हवा का महल।इस महल में कई छोटे बड़े झरोखे और खिड़कियां हैं जिनसे ठंडी हवा मिलती है।
इस महल में प्रकाश तथा हवा के संचार की उचित व्यवस्था है।हवा महल का नाम यहां की पांचवी मंजिल से पड़ा है, जिसे हवा मंदिर कहा जाता है।
हवा महल का निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था तथा इस महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे।इस महल का निर्माण राजा ने खेत्री महल से प्रेरित होकर कराया था।
जयपुर के प्रसिद्ध जौहरी बाजार के पास स्थित इस पांच मंजिला महल को पूर्ण रूप से लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया था।इस महल का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि राजघराने की महिलाएं बिना किसी डर के पर्दा प्रथा का पालन करते हुए बाजरों, महल और सड़क के आसपास हो रहे उत्सवों के आनंद ले सके।
जलमहल :
यह महल जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित है।इस जलमहल को आई बॉल भी कहा जाता हे क्योकि यह महल झील के बीचों बीच है।जयसिंह द्वारा निर्मित इस महल को ‘रोमांटिक महल’ के नाम से भी जाना जाता था।दुमंजिला जलमहल, वर्गाकार आकृति में है जो पर्यटको को बहुत ही आकर्षित लगता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस महल का निर्माण 1799 में सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था।
जंतर मंतर :
जंतर मंतर की स्थापना 1718 में सवाई जयसिंह जो एक खगोल वैज्ञानिक भी थे, के द्वारा जयपुर शहर की स्थापना से पहले की गयी थी।यह एक खगोलीय वेदशाला है जिसका निर्माण सूर्योदय,सूर्यास्त तथा नक्षत्र की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया गया था।जयपुर की वेदशाला सबसे विशाल तथा विख्यात है।2010 को इसे विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया।
यहाँ पर कई प्रकार के यन्त्र पड़े हुए है।जिनमे सम्राट-यन्त्र’,’जयप्रकाश-यन्त्र’ और ‘राम-यन्त्र’ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं।जिनमें से ‘सम्राट-यन्त्र’ जिसका उपयोग शुद्धता से समय बताने के लिए किया जाता है सबसे ऊंचा है।
इन सबके अलावा मुबारक महल,सिसोदिया रानी का महल,सिटी पैलेस और बादल महल भी जयपुर में ही स्थित है और उनको भी देश विदेश से पर्यटक देखने जयपुर आते है।
कुछ रोचक तथ्य
- विश्व का सबसे बड़ा चांदी का पात्र जयपुर के सिटी पैलेस में ही रखा हुआ है।
- क्रिकेट की सबसे बड़ी ट्रॉफी जयपुर में ही बनी है।
- ब्लू पॉटरी (चीनी मिट्टी के सफेद बर्तनों पर किए गए नीले रंग के अंकन को ब्लू पॉटरी के नाम से जाना जाता है) के लिए जयपुर विश्व विख्यात है।
- भारत में सबसे बड़ी और डिपो में आग लगने की दुर्घटना भी जयपुर में 29 नवंबर 2009 को हुई।
- जयपुर में भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की सांभर झील जहां से देश के कुल नमक उत्पादन का लगभग 8% होता है।
- जवाहरात के निर्माण और व्यवसाय में भी जयपुर विश्व प्रसिद्ध है।
मुझे आशा है कि आज इस आर्टिकल मे आपको जयपुर का इतिहास और उसके दर्शनीय स्थल के बारे मे दी गयी जानकारी समझ आ गयी होगी ।