किसी भी सर्किट में तीन इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट बहुत महत्वपूर्ण होते है – रेसिस्टर , कैपेसिटर और इंडक्टर। तो आज इस आर्टिकल में Capacitor Kya hota hai के बारे में बताने वाले है ।
यह इलेक्ट्रिक चार्ज(Electric Charge)को स्टोर करता है साथ ही यह फ़िल्टर का काम भी करता है,मतलब AC को पास करता है और DC को ब्लॉक करता है।
इसका उपयोग कई डिवाइस में किया जाता है जैसे -चार्जर,टेलीविज़न ,रेडियो आदि।
Table of Contents
कैपेसिटर क्या है ?(Capacitor kya hai)
कैपेसिटर(Capacitor) एक Passive Component (Passive Component वह होते है । जो पावर को उत्पन्न नहीं करते है बल्कि उन्हें स्टोर करते है या फिर छोड़ते है। )होता है, जिसको Condenser के नाम से भी जाना जाता है।
यह इलेक्ट्रिकल एनर्जी (Electrical Energy ) को इलेक्ट्रोस्टेटिक (Electrostatic) की फॉर्म में स्टोर करता है, इसके अलावा यह फ़िल्टर (Filter) का भी काम करता है।
फ़िल्टर के रूप में इसका उपयोग Smooth D.C. प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इसमें दो मेटल की प्लेट होती है, जो चालक का काम करती है। इन प्लेट के बीच में कुचालक पदार्थ होता है, जिसको Dielectric कहा जाता है। सामान्तया कुचालक पदार्थ के रूप में Air, Mica, Ceramics आदि का उपयोग किया जाता है।
कैपेसिटर कैसे काम करता है ?(Capacitor kaise kaam karta hai)
जब कैपेसिटर को बैटरी से कनेक्ट किया जाता है, तो एक प्लेट से इलेक्ट्रॉन बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल की तरफ आकर्षित होते है और ये इलेक्ट्रॉन दूसरी प्लेट की तरफ एकत्रित होते रहते है।
जिसके कारण एक प्लेट पर बहुत ज्यादा पॉजिटिव चार्ज और दूसरी प्लेट पर बहुत ज्यादा नेगेटिव चार्ज आ जाता है। इस कारण कैपेसिटर चार्ज हो जाता है।
एक प्लेट से इलेक्ट्रॉन दूसरी प्लेट की तरफ तब तक एकत्रित होते रहेंगे जब तक कि कैपेसिटर प्लेट का पोटेंशियल डिफरेंस (Potential Difference) बैटरी के वोल्टेज (Voltage)के बराबर नहीं हो जाता है।
अब बैटरी को हटा भी लेते है, तो दोनों प्लेटो के बीच अब भी चार्ज रहेगा।अब कोई कंडक्टर को इनसे लगाने पर दोनों प्लेटो में करंट फ्लो होने लगती है जब तक उसमे चार्ज न्यूट्रल नहीं हो जाता है।
कैपेसिटेंस किसे कहते है ?(Capacitance kise kahte hai)
कैपेसिटर के द्वारा चार्ज को स्टोर करने की क्षमता को कैपेसिटर (Capacitor) का कैपेसिटेंस (Capacitance) कहते है। कैपेसिटर के अंदर उपस्थित चार्ज उसके एक्रॉस पोटेंशियल डिफरेंस(Potential Difference) के समानुपाती होता है।
Q ∝ V
Q/V= constant =C
यहाँ पर कांस्टेंट C को कैपेसिटर का कैपेसिटेंस कहते है।
अन्य शब्दों में चार्ज (Q) और पोटेंशियल डिफरेंस (V) के रेशिओ (Ratio) को कैपेसिटेंस (Capacitance) कहते है।
कैपेसिटेंस का मात्रक क्या है ?(SI unit of Capacitance)
कैपेसिटेंस (Capacitance) का S I मात्रक फैरड (Farad) होता है, जो कुलाम्ब(Coulomb)/ वोल्ट(Volt) के बराबर होता है। सामान्यतया फैरड कैपेसिटेंस का बड़ा मात्रक है इसलिए प्रैक्टिकली माइक्रो फैरड( 1μF=10-6F ), नैनो फैरड (1nF=10-9F) या पिको फैरड (1 pF = 10−12F)काम में लिया जाता है।
कैपेसिटेंस किस पर निर्भर करता है ?
इस आर्टिकल Capacitor Kya hota hai में कैपेसिटर किस पर निर्भर करता है के बारे में बता रहे है जो निम्न है
प्लेटो के क्षेत्रफल पर (Area of plates) –
किसी भी कैपेसिटर (Capacitor) का कैपेसिटेंस (Capacitance) प्लेटो के क्षेत्रफल के समानुपाती होता है।
अगर इसकी की प्लेटे बड़ी होगी तो उसमे चार्ज को स्टोर करने की क्षमता भी अधिक होगी और अगर प्लेटे छोटी होगी तो चार्ज को स्टोर करने की क्षमता भी कम होगी।
C∝A C= Capacitance A= Area
प्लेटो के बीच की दुरी (Separation between plates) –
किसी भी कैपेसिटर (Capacitor) का कैपेसिटेंस (Capacitance) प्लेटो के बीच की दुरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
इसका मतलब अगर प्लेटो के बीच की दुरी कम होगी तो उनका कैपेसिटेंस ज्यादा होगा और प्लेटो के बीच की दुरी ज्यादा होगी तो उनका कैपेसिटेंस कम होगा।
C∝1/D C= Capacitance D= Distance
कुचालक पदार्थ पर (Dielectric material) –
किसी भी कैपेसिटर (Capacitor) का कैपेसिटेंस (Capacitance) कुचालक पदार्थ की प्रकति पर भी निर्भर करता है।
हर कुचालक पदार्थ की क्षमता होती है कि वह कितनी इलेक्ट्रिक लाइन को एकत्रित कर सकता है। जिसे रिलेटिव परमितिविटी या डाइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट (Dielectric Constant) कहते है।
अगर कुचालक पदार्थ की रिलेटिव परमितिविटी (Relative Permittivity) ज्यादा होगी तो उसका कैपेसिटेंस (Capacitance) भी ज्यादा होगा और अगर रिलेटिव परमितिविटी (Relative Permittivity) कम होगी तो उसका कैपेसिटेंस (Capacitance) भी कम होगा।
कैपेसिटर के प्रकार (Type of Capacitor)
इस आर्टिकल Capacitor Kya hota hai में कैपेसिटर के प्रकार के बारे में बता रहे है।
एयर कैपेसिटर (Air Capacitor)-
इसका नाम एयर कैपेसिटर रखा गया है क्योकि इसमे एयर का उपयोग Dielectric material के रूप में किया जाता है।
इस टाइप के कैपेसिटर वेरिएबल और फिक्स्ड दोनों टाइप के होते है, लेकिन वेरिएबल कैपेसिटर अपनी सिंपल बनावट के कारण अधिकतर उपयोग में लिए जाते है।
ये सामानयतया 10 से 400 pF की रेंज में उपलब्ध होते है। इनका उपयोग रेजोनेंस सर्किट , रेडियो ट्यूनर आदि में किया जाता है।
माइका कैपेसिटर (Mica Capacitor) –
इस टाइप के कैपेसिटर में माइका का उपयोग Dielectric material के रूप में किया जाता है, इसलिए इसका नाम माइका कैपेसिटर रखा गया है। इस कैपेसिटर में इंडक्टिव और रेसिस्टिव लॉसेस कम होते है।
ये सामानयतया 1pF से 0.1μF की रेंज में उपलब्ध होते है। इनका उपयोग रेजोनेंस सर्किट, रेडियो और टीवी ट्रांसमीटर आदि में किया जाता है।
पेपर कैपेसिटर (Paper Capacitor) –
पेपर कैपेसिटर में पेपर का उपयोग Dielectric material के रूप में किया जाता है। पेपर कैपेसिटर ज्यादा फिक्स्ड टाइप में उपयोग में लिया जाता है मतलब इनकी वैल्यू को चेंज नहीं किया जा सकता है।
ये सामानयतया 500pF से 50μF की रेंज में उपलब्ध होते है। इनका उपयोग High Voltage और High Current में इनका उपयोग है।
इलेक्ट्रोलायटिक कैपेसिटर (Electrolytic Capacitor) –
इस टाइप के कैपेसिटर में इलेक्ट्रोलायटिक का उपयोग Dielectric material के रूप में किया जाता है। इलेक्ट्रोलायटिक की पतली फिल्म का उपयोग होने के कारण इस टाइप के कैपेसिटर में कैपेसिटेंस की वैल्यू हाई होती है।
इसमें पोलेरिटी का बहुत ध्यान रखा जाता है, मतलब इसमें पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल का कनेक्शन सही तरीके से होना चाहिए, गलत कनेक्शन होने पर कैपेसिटर ख़राब हो सकता है।
ये सामानयतया 1μF से ऊपर की रेंज में उपलब्ध होते है।इनका उपयोग Voltage Fluctuation को कम करने में किया जाता है।
सेरेमिक कैपेसिटर (Ceramic Capacitor) -पेपर कैपेसिटर की तरह यह भी फिक्स्ड टाइप के होते है।
पेपर कैपेसिटर की तरह यह भी फिक्स्ड टाइप के होते है। इस टाइप के कैपेसिटर मे सेरेमिक का उपयोग Dielectric material के रूप में किया जाता है
सेरेमिक मैटेरियल की परमिटीविटी अधिक होने के कारण इस टाइप के कैपेसिटर की कैपेसिटेंस वैल्यू अधिक होती है। ये सामानयतया 1pF से 1 μF की रेंज में उपलब्ध होते है। इनका उपयोग Transmitter Station में किया जाता है।
प्लास्टिक फिल्म कैपेसिटर (Plastic film Capacitor) –
इस टाइप के कैपेसिटर में प्लास्टिक का उपयोग Dielectric material के रूप में किया जाता है।प्लास्टिक के रूप में पॉलीस्टर(Polyester) और पॉलिस्ट्रीन (polystyrene)का उपयोग अधिकतर किया जाता है। ये कैपेसिटर आकार में छोटे और महंगे होते है।
ये सामानयतया 5pF से 0.5μF की रेंज में उपलब्ध होते है। इनका उपयोग Analog को Digital में परिवर्तित करने में किया जाता है
कैपेसिटर के उपयोग
इस आर्टिकल Capacitor Kya hota hai में कैपेसिटर के उपयोग के बारे में बता रहे है जो निम्न है
- इसका उपयोग इलेक्ट्रिकल चार्ज को स्टोर करता है और आवशयकता पड़ने पर स्टोर चार्ज को रिलीज़ कर देता है।
- कैपेसिटर D.C को ब्लॉक करता है और A.C को पास करता है।इस तरह कैपेसिटर फ़िल्टर के रूप मे भी कार्य करता है।
- कैपेसिटर को सर्किट में लगाने से सर्किट में उत्तपन वोल्टेज स्पाइक को काम किया जा सकता है।
- एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से कनेक्ट करने के लिए भी कैपेसिटर का उपयोग किया जाता है, जिसे कपलिंग कैपेसिटर (Coupling Capacitor) भी कहा जाता है।